68 वां मध्यप्रदेश स्थापना दिवस : जाने कैसे हुआ था वर्तमान वर्तमान मध्यप्रदेश का गठन

MP 68th Foundation Day: मध्य प्रदेश के 68वें स्थापना दिवस (MP 68th Foundation Day) पर पूरे प्रदेश में उत्सव की तैयारी हो गयी है. आज यानि की 1 नवंबर को ये दिवस मनाया जाएगा. प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी इस कार्यक्रम को लेकर BJP , कांग्रेस कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। यहीं चुनावी साल होने की कारण इस बार का कार्यक्रम काफी दिलचस्प होने वाला है. तो आइए इस अवसर पर हम जाने हैं कि आखिर 34 महीनों में मध्य प्रदेश का गठन किस प्रकार हुआ और फिर भारत के प्रधानमंत्री जबहरलाल नेहरू जी ने इसका नामकरण कैसे किया।

पहले सेंट्रल प्रोविंस यानी मध्य प्रांत से थी पहचान

देश की आजादी कुछ समय बाद और उससे पहले हमारे प्रदेश को सेंट्रल प्रोविंस यानी मध्य प्रांत और बरार अर्थात सीपी एंड बरार के नाम से जाना जाता था. आजाद भारत में सभी रियासतों को मिलाकर एकीकृत किया गया. इसकेपश्चात् एक नवंबर 1956 से अपना प्रदेश मध्य प्रदेश कहलाने लगा.

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4 राज्यों को गठित बना था मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश का निर्माण सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार, मध्य भारत ( ग्वालियर-चंबल ), विंध्यप्रदेश और भोपाल से मिलकर हुआ | इसके लिए आजाद भारत में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया. आयोग ऊपर उत्तर प्रदेश के जितना बड़ा राज्य बनाने की जिम्मेदारी थी, क्योंकि इसे महाकौशल, विंध्य प्रदेश , ग्वालियर-चंबल और भोपाल के आसपास के क्षेत्रो को मिलाकर बनाना था.

इस कारण से गठन में लगे 34 माह

पुनर्गठन आयोग को उत्तर प्रदेश बराबर बड़ा राज्य बनाना था. इसमें उनकी सबसे बड़ी चुनौती 4 राज्यों को एकत्रित था. चुनौती इसलिए भी और ज्यादा कठिन हो जाती है कि पहले से मौजूद राज्यों की अपनी भिन्न पहचान थी और इनके अपनी एक अलग विधानसभा थी| जब इन राज्यों को एक साथ मिलाया जाने लगा तो रियासतदार इसका विरोध करने लगेथे . ऐसे में सभी समझौतों को पूर्ण करने में आयोग को करीब 34 माह लग गए|

पुनर्गठन में थे ये क्षेत्र

पार्ट-A : इसकी राजधानी नागपुर थी और इसमें बुंदेलखंड और छत्तीसगढ़ जैसी रियासतें शामिल थी।
पार्ट-B : इसकी राजधानी ग्वालियर एवं इंदौर थी. इसमें मालवा-निमाड़ रियासतें शामिल थी।
पार्ट C : विंध्य के इलाके शामिल थे, जिनकी राजधानी रीवा हुआ करती थी।
महाकौशल: ये अलग क्षेत्र में माना जाता था, जिसकी राजधानी जबलपुर थी।
– पार्ट A , पार्ट B , पार्ट C और महाकौशल के अतिरिक्त भोपाल में नवाबी शासन था।

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पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया नाम

आयोग को सभी सिफारिशों पर विचार-विमर्श करने में लगभग 34 माह यानि ढाई साल लग गए. अंततः तमाम सिफारिशों के बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने रखी,और उन्होंने इसे मध्यप्रदेश नाम दिया और 1 नवंबर 1956 को मध्यभारत को मध्यप्रदेश नाम के साथ पहचाना जाने लगा|

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