Sciatica : जानिए इस बीमारी को कैसे करें मैनेज डॉक्टर की सलाह

Effective Management :

सायटिका एक कॉमन लेकिन अक्सर गलत समझी जाने वाला मेडिकल कंडीशन है जिसमें साइटिक नर्व में दर्द फैलता है, जो पीठ के निचले हिस्से से कूल्हों, नितंबों और पैरों तक फैलता है. ये इंसान को कमजोर करने वाला हो सकता है, किसी की डेली एक्टिविटी को करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और जीवन की ओवरऑल क्वालिटी को प्रभावित कर सकता है. इस ब्लॉग में, हम कटिस्नायुशूल के कारणों, लक्षणों और इफेक्टिव मैनेजमेंट पर विस्तार से चर्चा करेंगे.

हर्नियेटेड डिस्क :

जब रीढ़ की हड्डी की डिस्क की सॉफ्ट इनर मैटेरियल कठोर आउट सेल से बाहर निकलती है, तो ये साइटिक नर्व सहित एडजेसेंट रूट नर्व पर दबाव डाल सकती है.

स्पाइनल स्टेनोसिस :

इस स्थिति में स्पाइनल कैनाल नैरो होने लगता है, जो साइटिक नर्व सहित नसों को संकुचित कम्प्रेस कर सकता है.

डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज :

उम्र के साथ, रीढ़ की हड्डी की डिस्क हाइड्रेशन और इलास्टिसिटी खो सकती है, जिससे डिस्क का डिजेनरेशन हो सकता है. ये सायटिका और नर्व कम्प्रेशन में भी योगदान दे सकता है.

स्पोंडिलोलिस्थीसिस :

ये तब होता है जब एक वर्टेबरा दूसरे पर आगे की ओर खिसक जाती है, जिससे संभावित रूप से नर्व रूट संकुचित हो जाती हैं।

पिरिफोर्मिस सिंड्रोम :

नितंबों में स्थित पिरिफोर्मिस मांसपेशी, कभी-कभी सायटिक नर्व को परेशान या कम्प्रेस कर सकती है, जिससे समान लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं.

सायटिका के लक्षण (Symptoms of Sciatica)

शार्प और शूटिंग पेन

अक्सर इसे झटके या बिजली के झटके के रूप में पेश किया जाता है, ये दर्द इंटेंसिटी में अलग-अलग हो सकता है और हिलने-डुलने पर खराब हो सकता है.

सुन्न होना या झुनझुनी आना

ऐसी स्थिति में पैरों पर असर तो होता ही है, साथ ही ये सुन्न पड़ जाता है झुनझुनी आने लगती है.

कमजोरी

मांसपेशियों में कमजोरी या प्रभावित पैर को हिलाने में मुश्किल हो सकती है, खासकर अधिक गंभीर मामलों में.

रेस्ट और एक्टिविटी मोडिफिकेशन :

संयमित रूप से आराम करने से तीव्र दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन लंबे समय तक बिस्तर पर आराम करने की सलाह नहीं दी जाती है. इसके बजाय, लक्षणों को बढ़ाने वाली गतिविधियों से बचते हुए मध्यम रूप से सक्रिय रहने का लक्ष्य रखें.

फिजिकल थेरेपी :

इसके लिए कुछ खास एक्सरसाइज जैसे स्ट्रेच को फिजिकल थेरेपिस्ट द्वारा प्रेसक्राइब किया जाता है, जिससे फ्लेक्सिबिलिटी आता ही, सपोर्टिव मसल्स को मजबूती मिलती है साइटिक नर्व में पर दबाव को कम करने में मदद हो सकती है

हॉट एंड कोल्ड थेरेपी :

इसके लिए हॉट वॉटर बैग और कोल्ड पैक्स को दर्द वाली जगह पर रखने की सलाह दी जाती है जिससे सूजन कम होता है और फौरी राहत मिल जाती है.

मेडिकेशन :

ऐसी स्थित में डॉक्टर्स सायटिका के दर्द को दूर करने के लिए कई तरह के मेडिकेशन सजेस्ट करत हैं. इसके जरिए सूजन को कम किया जाता है. जरूरत पड़ने पर मसल रिलैक्सेशन की दवा और नर्व इरिटेशन कम करने के लिए स्टेरॉयड दिया जाता है

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इंजेक्शन :

शरीर के एफेक्टेड एरिया में सीधे कॉर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन गंभीर दर्द और सूजन से अस्थायी राहत प्रदान कर सकते हैं.

सर्जरी :

रेयर केस में जब पारंपरिक ट्रीटमेंट दर्द से आराम दिलाने में फेल हो जाते हैं तब सर्जरी के जरिए सायटिक नर्व में दवाब को कम किया जा सकता है. सर्जिकल ऑप्शंस में डिस्केक्टॉमी,

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