China Pakistan: आतंकी, क्या इन चार फैक्टर्स से भड़के हुए हैं,दहशत गर्द?

पाकिस्तान चीन न्यूज़ : 

पाकिस्तान में चाइना- पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. खासकर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा इलाके में यह गुस्सा अब नफरत की हद तक बढ़ गया है. बलूच विद्रोही और इस्लामिक आतंकी मिलकर चीनी नागरिकों पर मौत बरसा रहे हैं. वहीं खुद को दुनिया की सबसे बड़ी सेना कहने वाला चीन इन हत्याओं पर बेबस है और हर घटना के बाद पाकिस्तान पर बौखलाकर रह जाता है. आखिर विद्रोही और दहशतगर्द चीन से इतने गुस्से में क्यों हैं. वे कौन सी वजहें हैं, जिसके चलते वे उसके नागरिकों पर ताबड़तोड़ हमले बोल रहे हैं, हम आज उसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

चीन का सपना टूटने लगा है :

चीन ने अंडमान निकोबार से होकर गुजरने वाले मलक्का जलडमरू मध्य के विकल्प के रूप में पीओके से होकर सीपीईसी बनाने का फैसला किया. इसके लिए वह 60 बिलियन डॉलर से ज्यादा की लागत से सड़क और रेल मार्ग का निर्माण कर रहा है. उसका इरादा चीन को वाया पाकिस्तान होते हुए अरब देशों से सीधे कनेक्ट करने का है. लेकिन उसका यह निवेश और ख्वाब अब दोनों खतरे में है और इसकी वजह है, पाकिस्तान में उसके इंजीनियरों और नागरिकों पर बढ़ते हमले.

नागरिकों की मौत का सदमा :

पीओके में दहशतगर्दों ने दासू बिजली परियोजना के रास्ते में एक वाहन को उड़ा दिया, जिसमें चीन के 5 इंजीनियरों की मौत हो गई. इसके बाद से चीन गुस्से में लाल- पीला है. उसने इस प्रोजेक्ट पर काम फिलहाल रोक दिया है और चीन से उसके नागरिकों के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने को कहा है. यह हमला किसने किया, यह अभी क्लियर नहीं है लेकिन हमेशा की तरह पाकिस्तानी सेना की प्रोपेगंडा विंग आईएसपीआर ने भारत का नाम लिए बिना इसके पीछे विदेशी एजेंसी का हाथ बताया. 

चीनी नागरिकों पर क्यों हमले :

हालांकि पाकिस्तान के अखबार डॉन ने अपनी रिपोर्ट में चीनी नागरिकों पर बढ़ते हमलों की वास्तविक वजह जानने की कोशिश की है. उसकी रिपोर्ट के मुताबिक पीओके, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के लोग विकास कार्यों के विरोध में नहीं है, लेकिन उनकी कई बड़ी चिंता हैं, जो इन हमलों की वजह बन रही हैं. अखबार के मुताबिक लोगों में सबसे बड़ा डर इस बात का है कि निर्माण पूरा होने के बाद चीन यहां पर अपनी सेना तैनात कर धीरे- धीरे नागरिकों को बसाना शुरू कर देगा, जिससे वे अपने देश में ही गुलाम बनकर रह जाएंगे. लिहाजा वे इस प्रोजेक्ट को अटकाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं. 

मजहबी परंपराओं :

दूसरी वजह लोगों में ये डर है कि चीनी का प्रभाव बढ़ने के बाद उनका अपने ही देश में मजहब और परंपराओं पर खतरा पैदा हो जाएगा. शिनजियांग इलाके की तरह उनके साथ भी चीन उत्पीड़न करेगा और उनकी मस्जिदों को तोड़ डालेगा. चूंकि वे वीगर मुस्लिमों के साथ चीन के अत्याचारों को करीब से देख रहे हैं, इसलिए सीपीईसी के बढ़ते काम के साथ उनमें बेचैनी भी बढ़ती जा रही है. 

जमीन छिनने बलूचिस्तानी :

अखबार के मुताबिक, बलूचिस्तान के लोगों को इस बात का डर का है कि एक बार सीपीईसी का काम पूरा हो गया तो फिर चीन जब चाहे ट्रेनों के जरिए अपनी फौजों को भी भी पाकिस्तान में लाकर बलूचिस्तान पर अपना कंट्रोल कर लेगा. ऐसे में वे पाकिस्तान के साथ ही चीन के भी गहरे चंगुल में फंस जाएंगे, जिसके बाद उनके लिए जिंदगी में कभी भी बाहर निकलने का रास्ता नहीं बन सकेगा.Gold-Silver Price : सातवें आसमान पर 10 ग्राम का भाव, क्यों लगातार महंगा हो रहा सोना? 

कट्टरपंथियों आधुनिकीकरण :

रिपोर्ट के मुताबिक चीनी नागरिकों पर बढ़ते हमलों की चौथी वजह भी है. अखबार के अनुसार चीनी इंजीनियरों पर अधिकतर अटैक उन्हीं जगहों पर हो रहे हैं, जो कट्टरपंथ से प्रभावित हैं. वहां पर चौड़ी सड़कों का जाल, बढ़ता शहरीकरण कट्टरपंथियों को रास नहीं आ रहा है. उन्हें लग रहा है कि अगर आधुनिकीकरण का दौर ऐसे ही चलता रहा तो लोग उनकी बात नहीं सुनेंगे और समाज में उनका मजहबी प्रभाव कम हो जाएगा. ऐसे में वे भी जानबूझकर ऐसे हमलों को बढ़ावा दे रहे हैं. 

चीन-पाकिस्तान :

अब सच क्या है और ये हमले क्यों हो रहे हैं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल चीन और पाकिस्तान दोनों की नींद जरूर उड़ी हुई है. पाकिस्तान इसलिए परेशान है कि चीन उसका सबसे बड़ा डोनर और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को संभालने वाला ड्राइवर है. अगर वह रूठ गया तो पाकिस्तान को ढहते हुए देर नहीं लगेगी. वहीं चीन इसलिए परेशान है कि अगर सीपीईसी नहीं बना तो उसके 60 बिलियन डॉलर पानी में डूब जाएंगे. 

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