Bacteria : लेटेस्ट रिसर्च का दावा ,आंत में अच्छे जीवाणु बढ़ाने में मदद कर सकती है हल्दी,

बैक्टीरिया लेटेस्ट रिसर्च :

एक ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि हल्दी में पाया जाने वाला मुख्य तत्व ‘कर्कुमिन’ आंत में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद कर सकता है.ब्राजील के वैज्ञानिकों ने कर्कुमिन और आंतों की सेहत के बीच एक लिंक खोज निकाला है.

यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न साओ पाउलो (UNOESTE) और साओ पाउलो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिसके नतीजे में प्रकाशित हुए हैं.अपने चमकदार पीले रंग और स्वादिष्ट खुशबू के लिए मशहूर हल्दी भारतीय रसोई का एक अभिन्न अंग है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हल्दी सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है

परिणाम :

आंतों की सेहत पर अच्छे प्रभाव के लिए जाने जाते हैअध्ययन में पाया गया कि नैनोइमल्शन के रूप में दिए गए कर्कुमिन के घोल से चूहों में लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया की मात्रा में 25% तक वृद्धि देखी गई. लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया आमतौर पर दही जैसे प्रोबायोटिक रिच फूड में पाए जाते हैं

एक्सपर्ट :

यूजिससे कर्कुमिन की जैव-उपलब्धता (bioavailability) में भी सुधार हुआ. निवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न साओ पाउलो की प्रोफेसर और इस रिसर्च की प्रमुख शोधकर्ता लिज्जियन क्रेत्ली विंकेलस्ट्रेटर एलर ने इस खोज के महत्व को समझाते हुए कहा कि इस नैनोइमल्शन ने अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाकर चूहों के आंतों के माइक्रोबायोटा को बदल दिया,

किन लोगों के लिए है :

उपचार के बाद, उन्होंने आंतों के माइक्रोबायोटा में सुधार और कर्कुमिन की बेहतर जैवउपलब्धता जैसे अच्छे परिणाम देखे.हालांकि नैनोइमल्शन ने आंतों में सूजन में उल्लेखनीय सुधार नहीं किया, लेकिन कर्कुमिन नैनोइमल्शन से इलाज किए गए चूहों में लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया की मात्रा कंट्रोल ग्रुप की तुलना में काफी अधिक पाई गई.

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अध्ययन के लेखकों ने सूजन बाउल डिजीज की रोकथाम और उपचार में कर्कुमिन की क्षमता को अधिकतम करने के लिए नई संरचनाओं को विकसित करने के महत्व पर जोर दिया. कर्कुमिन मौजूदा उपचारों के लिए एक आशाजनक विकल्प के रूप में उभर सकता है, जो अक्सर महंगे होते हैं और जिनके गंभीर नुकसान हो सकते हैं. यह रिसर्च आंतों की सेहत को बढ़ावा देने में कर्कुमिन की क्षमता पर प्रकाश डालता है और सूजन बाउल डिसऑर्डर के लिए बेहतर उपचारों के विकास की आशा जगाता है.

शोधकर्ताओं का गोल कर्कुमिन की कम जैव-उपलब्धता को दूर करना था, खासकर क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी सूजन संबंधी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के लिए. शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल रूप से आंतों में सूजन पैदा करने वाले चूहों को 14 दिनों तक मुंह से कर्कुमिन नैनोइमल्शन दिया.

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