सांसदों की गैर-मौजूदगी में लोकसभा में पास हुए 3 नए क्रिमिनल बिल, जाने इस बिल में क्या है?

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल प्रस्तुत किये।इस दौरान भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को एकतरफा मत से मंजूरी मिल गई. गृहमंत्री ने कहा कि पहली बार आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा . उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हम अभी भी यूनाइटेड किंगडम सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन कर रहे हैं. हम अभी भी ब्रिटिश किंगडम, द क्राउन, बैरिस्टर जैसे अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करते हैं. गृहमंत्री ने इन तीनों बिलों की कुछ विशेषताएं बताई।

तीन क्रिमिनल लॉ बिल लोकसभा में पास

नए क्रिमिनल लॉ बिल के तहत अब रोड रेज या सड़क पर एक्सीडेंट करके जल्दी फरार होने वाले लोग कानून से नहीं बच पाएंगे. उनके लिए सख्त और सटीक कानून आया है. केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटना करके भागने वालों को अनिवार्य रूप से कानून के सामने लाने के लिए सख्त कानून बनाया है. इसके तहत सड़क पर एक्सीडेंट करके फरार होने के जुर्म में 10 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है. वहीं, अगर एक्सीडेंट करने वाले लोग या कोई इंसान गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाता है, तो उसकी सजा कम की जा सकती है. अमित शाह ने आज लोकसभा में इस कानून की जानकारी दी है.

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नए क्रिमिनल लॉ पर गृहमंत्री अमितशाह का भाषण  

अमितशाह ने कहा कि पहली बार भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत के लोगों से संबंधित लगभग 142 साल पुरानी आपराधिक न्याय प्रणाली को नियंत्रित करने वाले तीन कानूनों में बड़े परिवर्तन किए गए हैं. इन कानूनों में अगले 100 वर्षों में होने वाले तकनीकी नवाचारों की कल्पना करके देश की न्यायिक प्रणाली को सुसज्जित करने के लिए सभी प्रावधान किए गए हैं.

मॉब लिंचिंग पर मौत की सजा का प्रावधान होगा

गृहमंत्री ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, इन कानूनों में इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है. पुलिस और जनता के अधिकारों के बीच अच्छा संतुलन कायम किया गया है. शाह ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ बिल जिसमें 484 धाराएं हैं, इसमें अब 531 धाराएं होंगी. कुल 177 धाराएं बदली गई हैं. 9 नई धाराएं जोड़ी गईं और 14 निरस्त की गईं हैं.यह विधेयक यौन हिंसा से बचे लोगों के बयान की वीडियो-रिकॉर्डिंग को अनिवार्य बनाता है, यह कदम साक्ष्यों को संरक्षित करने और ज़बरदस्ती को रोकने में सहायता कर सकता है।

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भारतीय न्याय संहिता में 21 नए अपराध जोड़े गए

इंडियन पीनल कोड की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में पहले के 511 के बजाय 358 खंड होंगे. इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं, 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ा दी गई है, 82 में जुर्माना बढ़ाया गया है. 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरू की गई है, 6 अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा के प्रावधान हैं और 19 धाराएं निरस्त कर दी गई हैं.यह विधेयक आतंकवाद एवं अलगाववाद, सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह, देश की संप्रभुता को चुनौती देने जैसे अपराधों को परिभाषित करता है, जिनका पहले कानून के विभिन्न प्रावधानों के अंर्तगत उल्लेख किया गया था।

अब E FIR पर 2 दिन में देना होगा जवाब

भारतीय साक्ष्य विधेयक अब साक्ष्य अधिनियम का स्थान ले लेगा. इसमें पहले के 167 की जगह 170 खंड होंगे. 24 खंडों में संशोधन किया गया है, 2 नए जोड़े गए हैं और छह निरस्त कर दिए गए हैं. गृहमंत्री ने कहा कि एक महिला ई-एफआईआर दर्ज करा सकती है, जिसका संज्ञान लिया जाएगा और दो दिनों के भीतर ही उसके घर पर जवाब देने की व्यवस्था की गई है.यह विधेयक बिल इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को किसी भी उपकरण या सिस्टम द्वारा उत्पन्न या प्रसारित किसी भी जानकारी के रूप में परिभाषित करता है जो किसी भी माध्यम से संगृहीत या पुनर्प्राप्त करने में सक्षम है।

पुलिस की शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

शाह ने कहा कि पुलिस की शक्तियों का दुरुपयोग रोकने के लिए तथा निरंकुशता पर अंकुश लगाने हेतु टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. न केवल जांच में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, बल्कि साक्ष्य की गुणवत्ता में सुधार करने और आरोपी और पीड़ित दोनों के अधिकारों की रक्षा करने में मदद करने के लिए अपराध-स्थल, जांच और परीक्षण के सभी तीन चरणों में इसके उपयोग को महत्व दिया गया है.

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जीरो एफआईआर के तहत ये प्रावधान किए जायेंगे

पीड़ित अब किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करा सकता है और इसे 24 घंटे के भीतर संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करना अनिवार्य होगा. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार लोगों की सूची तैयार करने और उनके रिश्तेदारों को सूचना देने के लिए हर जिले और पुलिस स्टेशन में एक पुलिस अधिकारी को नामित किया गया है.इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि शिकायत दर्ज करने में देरी के कारण सबूत और गवाहों के साथ छेड़छाड़ न की जाए।ज़ीरो FIR, जिसे किसी भी पुलिस स्टेशन द्वारा क्षेत्राधिकार की परवाह किये बिना, तब दर्ज किया जा सकता है जब उसे किसी संज्ञेय अपराध के संबंध में जानकारी मिलती है।

राजद्रोह की परिभाषा अब सरकार के नहीं राष्ट्र के हित में

अमित शाह ने कहा कि हमने राजद्रोह की परिभाषा को ‘राजद्रोह (सरकार के खिलाफ अपराध)’ से बदलकर ‘देशद्रोह (राष्ट्र के खिलाफ अपराध)’ कर दिया है राजद्रोह कानून सबसे विवादास्पद कानूनों में से एक था जो औपनिवेशिक अतीत से भारत की हालिया कानूनी प्रणाली में अभी तक मौजूद था भारतीय दंड संहिता की धारा 124 या राजद्रोह कानून को निरस्त कर दिया गया है. नए कानून का उद्देश्य “सरकार को बचाना नहीं, बल्कि देश की रक्षा करना है. एक स्वस्थ लोकतंत्र में, हर किसी को सरकार की आलोचना करने का अधिकार है, लेकिन हम किसी को भी राष्ट्र के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने की अनुमति नहीं देंगे. 

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