Spinal Surgery : क्या है सर्जन ने बताया रीढ़ की हड्डी की सर्जरी हुई आसान, नहीं करना होगा ज्यादा चीरफाड़

यदि आप रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, और डॉक्टर ने सर्जरी को आखिरी विकल्प बता दिया है, तो यह लेख आपके लिए है. क्योंकि अब आपको ओपन सर्जरी के दर्द से नहीं गुजरना पड़ेगा. क्योंकि अब एक ऐसे सर्जिकल टेक्नोलॉजी आ गई है

जिससे सर्जरी में दर्द भी कम होता है, इससे रिकवरी भी जल्दी होती है. डॉ. अरविंद कुलकर्णी, हेड स्पाइनल सर्जन, मुंबई स्पाइन स्कोलियोसिस एंड डिस्क रिप्लेसमेंट सेंटर, बताते हैं

MISS यानी कि मिनिमली इनवेसिव स्पाइनल सर्जरी ने रीढ़ की हड्डी के इलाज में क्रांति ला दी है. यह ट्रेडिशनल सर्जरी से कई मायनों में बेहतर है, जिसे आप इस लेख की मदद से जान सकते हैं. 

क्या है मिस :

मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी यह एक तरह की रीढ़ की हड्डी पर की जाने वाली एक सर्जरी है. इसमें पारंपरिक स्पाइन सर्जरी की तरह ज्यादा चीरफाड़ करने की जरूरत नहीं पड़ती है.

इस नहीं सर्जिकल टेक्नोलॉजी से मिनिमम फिजिकल डैमेज, रिस्क के साथ जल्दी रिकवरी पॉसिबल हो सका है. 

मिनिमली इनवेसिव :

इस नई सर्जिकल तकनीक के कई फायदे हैं. जैसे- कम समय में ठीक होना, कम जोखिम और हाई सक्सेस रेट. ट्रेडिशनल ओपन सर्जरी के मुकाबले यह तकनीक कमर दर्द, डिस्क स्लिप और स्पाइनल स्टेनोसिस जैसी समस्याओं के लिए एक सुरक्षित और कारगर इलाज है.

ओपन सर्जरी :

ट्रेडिशनल स्पाइन सर्जरी में रीढ़ तक पहुंचने के लिए बड़े चीरे लगाने और मांसपेशियों को हटाने की जरूरत होती थी. यह तरीका कारगर तो है, लेकिन इसके बाद मरीज को काफी दर्द होता है, ठीक होने में ज्यादा समय लगता है और जटिलताओं का खतरा भी ज्यादा रहता है.

साथ ही ओपन सर्जरी में संक्रमण, ज्यादा खून बहना और मांपेसिया में चोट लगने का खतरा रहता है. इन सबके कारण मरीज को ज्यादा समय अस्पताल में रहना पड़ सकता है.

चीरफाड़ की जरूरत नहीं :

मिनिमली इनवेसिव स्पाइन डीकंप्रेसन और फ्यूजन सर्जरी में छोटे चीरे लगाकर और विशेष उपकरणों का इस्तेमाल कर आसपास के ऊतकों को कम से कम टच किए बिना ही यह सर्जरी हो जाती है.

इसके अलावा दर्द को कम करने के लिए डीकंप्रेसन के दौरान स्पाइनल कॉर्ड या नसों पर दबाव डालने वाले हड्डी या ऊतक के कुछ हिस्सों को निकालकर दर्द और अन्य लक्षणों से राहत दिलाई जाती है. 

सर्जरी करना आसान :

ऑपरेशन के दौरान सीटी स्कैनिंग और फ्लोरोस्कोपी जैसी आधुनिक इमेजिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जो सर्जन को सही जगह पर प्रक्रिया करने में मदद करती हैं.

इस तरह आसपास के ऊतकों को कम नुकसान पहुंचाते हुए समस्या पैदा करने वाली जगह का इलाज किया जाता है.

घर लौट सकते हैं मरीज :

ट्रेडिशनल ओपन सर्जरी के बाद जहां मरीज को अस्पताल में कई दिन रहना पड़ सकता है, वहीं मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के बाद मरीज एक या दो दिन में ही घर जा सकता है.

इतना ही नहीं मरीज आम तौर पर कुछ हफ्तों में हल्के काम और कुछ महीनों में ज्यादा मेहनत वाले काम भी करने लगते हैं.

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