मूंग की फसल को कीट एवं रोग से बचाने के लिए करें ,इस कीटनाशी का छिड़काव

मूंग की फसल को कीट एवं रोग से बचाने के लिए करें ,इस कीटनाशी का छिड़काव मूंग की फसल में लगने वाले किट और रोगो से परेशां हो चुके है ,तो खरपतवार नियंत्रण सही समय पर नहीं करने से फसल की उपज में 40-60 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। खरीफ मौसम में फसलों में सकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे सवा, दूब घास एवं चौड़ी पति वाले पत्थरचटा, कनकवा, महकुआ, सफेद मुर्ग, हजारदाना, एवं लहसुआ तथा मोथा आदि वर्ग के खरपतवार बहुतायत निकलते रहते है।

खरीफ मौसम में दलहनी फसलों में मूंग एक महत्वपूर्ण फसल है। इसके दानों में लगभग 23-24 प्रतिशत प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन और विटामिन की प्रचुर मात्रा होती है इसका उपयोग दाल के अलावा नमकीन, पापड़ एवं मिठाइयां बनाने में किया जाता है। मूंग को सभी मौसमों में बोया जा सकता है लेकिन वर्तमान समय में किसानों का रुझान मूंग की ग्रीष्मकालीन खेती के प्रति बढ़ाता है।

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मूंग की फसल को कीट एवं रोग से बचाने के लिए करें ,इस कीटनाशी का छिड़काव

मूंग की खेती

मूंग की खेती की सबसे ज्यादा बिहार के गया जिले मे की जाती है। मूंग में कीट-व्याधियों, रोगों व खरपतवारों आदि से उपज में काफी हानि होती है,जिसमे सबसे ज्यादा हानि खरपतवार पहुंचाते है। इनके कारण फसलों और खरपतवारों के मध्य पोषक तत्वों, पानी, स्थान, प्रकाश आदि के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।

मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण

मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण सही समय पर नहीं करने से फसल की उपज में 40-60 प्रतिशत तक की कमी होने की सम्भावना होती है। खरीफ मौसम में फसलों में सकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे सवा, दूब घास एवं चौड़ी पति वाले पत्थरचटा, कनकवा, महकुआ, सफेद मुर्ग, हजारदाना, एवं लहसुआ तथा मोथा आदि वर्ग के खरपतवार बहुत अधिक निकलते है।

फसल व खरपतवार की प्रतिस्पर्धा की क्रान्तिक अवस्था मूंग में प्रथम 30 से 35 दिनों तक होती है। इसलिये प्रथम निराई-गुडाई 15-20 दिनों पर तथा द्वितीय 35-40 दिन पर करते रहना चाहिए।

नींदानाशक रसायन का छिड़काव

मूंग की फसल पर खरपतवार नाशक दवाओं के छिडकाव के लिये हमेशा फ्लैट फेन नोजल का ही उपयोगकरना चाहिए। गया जिला पौधा संरक्षण निदेशक सुजीत नाथ मल्लिक ने बताया कि पेन्डिमिथिलीन नामक केमिकल 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर के दर से बुवाई के 0-3 दिन के अंदर छिडकाव करने से खरपतवार से मुक्ति पा सकते है ,जिससे कीटो और रोगो से फसल को बचाया जा सकता है।

कतारों में बोई गई फसल में व्हील नामक यंत्र द्वारा यह कार्य आसानी से कर सकते है। चूंकि वर्षा के मौसम में लगातार वर्षा होने पर निदाई गुडाई हेतु समय नहीं मिलता साथ ही श्रमिक अधिक लगने से फसल की लागत बढती जाती है। इन परिस्थितियों में नींदा नियंत्रण के लिये निम्न नींदानाशक रसायन का छिड़काव करने से भी खरपतवार का प्रभावी नियंत्रण कर सकते है।

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