Menstrual Hygiene Day: मेंस्ट्रुअल हेल्थ को नेचुरल तरीके से कैसे करें मैनेज?

हर साल 28 मई को ‘मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे’ मनाया जाता है जिसका मकसद इस बात को लेकर लोगों को अवेयर करना है कि पीरियड के दौरान हाइजीन को कैसे मेंटेन किया जा सकता है. मासिक धर्म से जुड़ी सेहत ओवऑल वेल बीइंग के लिए बेहद जरूरी है. यूनीसेफ के मुताबिक पूरी दुनिया में तकरीबन 1.8 बिलियन महिलाओं को पीरियड्स आते हैं. इनमें में से 80 फीसदी वूमेन को मेंस्ट्रुअल पेन का सामना करना पड़ता है और 30 फीसदी को सीवियर पीरियड क्रैम्प्स आते हैं. अनियमित मासिक धर्म चक्र की वजह से 14 से 25 फीसदी महिलाओं को उनके रिप्रोडक्टिव ऐज में परेशानियों का सामना करना है.

दिक्कत क्यों होती है पीरियड्स में :

इस तरह की परेशानियों के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें स्ट्रेस, खराब डाइट, एक्सरसाइज की कमी और हार्मोनल बैलेंस शामिल हैं. हालांकि, प्रोपर मेंस्ट्रुअल हाइजीन प्रोडक्ट्स और शिक्षा तक पहुंच की कमी के कारण, आज बहुत सी महिलाओं को पीएमएस, यूटीआई, पीसीओएस और पीसीओडी जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिन्हें अनदेखा किया जाता है और इलाज नहीं किया जाता है. यही वजह है कि ग्लोबल लेवल पर अवेयरनेस को फैलाना जरूरी हो गया है.

मेंस्ट्रुअल हेल्थ को कैसे मैनेज करे ये 5 टिप्स :

आयुर्वेद में मेंस्ट्रुअल वेलनेस को ओवरऑल हेल्थ का अहम हिस्सा माना गया है. इसमें मासिक धर्म को नेचुरल प्यूरिफिकेशन प्रॉसेस समझा जाता है जिसमें टॉक्सिंस और गंदगी शरीर रे बाहर निकल जाती है. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. पूजा कोहली के मुताबिक हम 5 तरीके से मेंस्ट्रुअल हेल्क को नेचुरल तरीके से मैनेज कर सकते हैं.

फ्लूइड से कर लें दोस्ती

हर्बल चाय और गर्म पानी के रूप में बहुत सारे फ्लूइड पीने से आप हाइड्रेटेड रह सकती हैं. ये आपकी बॉडी से टॉक्सिंस और वेस्ट निकालने में प्रभावी ढंग से मदद करेगा.

कैफीन, सोडा और शराब जैसे स्टिमुलेंट ड्रिंक्स से बचें. इसके अलावा, गर्म पानी में अदरक की चाय या जीरा पीने से सूजन और ऐंठन को कम करने में मदद मिल सकती है.

सिंपल और नरिशिंग फूड्स खाएं :

आप प्रोसेस्ड और फ्राइड फूड खाने का जितना ज्यादा लालच करेंगी पीरियड में उतनी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. मेंस्ट्रुएशन एक ऐसा टाइम है जब चीजों को सिंपल रखना पड़ता है.

आप हल्के,गर्म और ताजे फूड खाएं. इनमें ढेर सारे सीजनल वेजिटेबल शामिल है. कोई भी रेसेपी पकाते वक्त इसमें मसाले कम से कम मिलाएं.

मूव, स्ट्रेच और रेस्ट :

पीरियड के वक्त आमतौर पर महिलाओं की बॉडी ज्यादा हार्ड वर्क करती है जिससे यूटेराइन लाइनिंग शेड किया जा सके, इसके कारण थकान का सामना करना पड़ सकता. इसका मकसद शरीर को पर्याप्त नींद दिलाना है जिससे बॉडी रिकवर और रिचार्ज कर सके.

पूरे दिन बेड पर पड़े रहने से भी कोई फायदा नहीं है, इसलिए थोड़ी फिजिकल एक्टिविटीज करते रहें, जिसमे हल्का फुल्का वॉक, योग स्ट्रेच शामिल हैं. ऐसा करने से दर्द से राहत मिल सकती है और ये मूड को भी बेहतर बना सकता है.

 हाइजीन मेंटेन करें :

पीरियड्ल के दौरान गुड हाइजीन मेंटेन रखना बेहद जरूरी है. आपको अपना पैड या टैम्पोन हर 4-6 घंटे में बदलना होगा. इसके अलावा, सुगंधित उत्पादों का उपयोग करने से बचें क्योंकि वो एफेक्टेड एरिया में जलन पैदा कर सकते हैं.

हॉट शॉवर लेना स्वच्छता बनाए रखने के साथ-साथ मांसपेशियों की ऐंठन से राहत पाने का एक और अच्छा तरीका है.                                                                                     

आयुर्वेदिक मेडिसिन :

ज्यादातर महिलाओं को पीरियड के दौरान हल्के से लेकर गंभीर दर्द का अहसास होता है. हालांकि ओवर-द-काउंटर दवाएं आपको राहत दिलाने में मदद कर सकती हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म में वो सिर्फ आपके कंडीशन को खराब करती हैं.

इसके बजाय, त्रैलोक्य विजया वटी जैसी आयुर्वेदिक दवाओं का चयन करें जिनमें विजया जैसी जड़ी-बूटियां होती हैं, जो मेंस्ट्रुअल पेन और परेशानी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं.

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