जीवन बीमा के नियमो में बड़ा बदलाव , पॉलिसी सरेंडर करने पर मिलेगा ज्यादा पैसा देश में जीवन बीमा से जुड़े नियमों बनाने वाली और कंपनियों के कामकाज की देखरेख करने वाली संस्था IRDAI ने करोड़ों पॉलिसी धारकों को बड़ी राहत दी है । बीमा नियामक संस्था IRDAI ने सभी जीवन बीमा बचत उत्पादों में पॉलिसी लोन की सुविधा अब अनिवार्य कर दी है, जिससे पॉलिसीधारकों को नकदी संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी ।
जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को एक साल की अवधि के बाद पॉलिसी सरेंडर कराने पर बेहतर सरेंडर वैल्यू मिलेगी । लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के संबंध में सभी नियमों को को लेकर ‘मास्टर’ सर्कुलर बुधवार को जारी किया गया है। इरडा ने कहा कि ‘फ्री-लुक’ अवधि अब 30 दिन है । पहले यह अवधि 15 दिन थी ‘फ्री-लुक’ अवधि में पॉलिसी के नियमों तथा शर्तों की समीक्षा करने के लिए समय प्रदान करता है ।
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जीवन बीमा के नियमो में बड़ा बदलाव , पॉलिसी सरेंडर करने पर मिलेगा ज्यादा पैसा
बीमा नियामक द्वारा पॉलिसी धारकों के हित में
नए ‘मास्टर’ सर्कुलर में जनरल इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए नियामक द्वारा की गई इसी प्रकार की प्रक्रिया के बाद आया है । इरडा ने कहा, ‘‘ यह बीमा नियामक द्वारा पॉलिसीधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए उठाए गए सुधारों की सीरीज में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है । अब इनोवेशन को बढ़ावा देने, ग्राहक अनुभव और संतुष्टि को बढ़ाने के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया गया है ।
‘मास्टर’ सर्कुलर के अनुसार,
‘मास्टर’ सर्कुलर के अनुसार, पेंशन उत्पादों के तहत आंशिक निकासी की सुविधा की अनुमति दी गई है । इससे पॉलिसीधारकों को जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे बच्चों की उच्च शिक्षा या विवाह; आवासीय मकान/फ्लैट की खरीद/निर्माण; चिकित्सकीय व्यय तथा गंभीर बीमारी के उपचार के लिए अपनी विशिष्ट वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मदद मिलती है ।
सरेंडर वैल्यू
नए नियमों के अनुसार बीमा कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्पेशल सरेंडर वैल्यू कम से कम भुगतान की गई बीमा राशि, भुगतान किए गए । भविष्य के लाभों और अर्जित और निहित लाभों के बराबर हो । इरडा ने कहा कि पॉलिसी को बंद करने के मामले में… इसे बंद करने वाले पॉलिसीधारकों और जारी रखने वाले पॉलिसी धारकों दोनों के लिए युक्तिसंगत तथा मूल्यपरक राशि सुनिश्चित की जाना चाहिए ।
परिपत्र में कहा गया, ‘‘ यदि बीमाकर्ता बीमा लोकपाल के निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं करता है और उसे 30 दिन के भीतर क्रियान्वित नहीं किया है, तो शिकायतकर्ता को प्रतिदिन 5,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा ।
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