कंगना रनौत की ‘इमरजेंसी’ की रिलीज का रास्ता नहीं हो पाया है साफ. पिछले काफी दिनों से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जिंदगी से प्रेरित इस फिल्म पर विवाद हो रहा है. ऐसे में सेंसर बोर्ड में सर्टफिकेट के लिए फिल्म लटकी हुई है. ऐसे में अब ‘इमरजेंसी’ को लेकर बंबई हाई कोर्ट से कंगना रनौत को झटका लगा है. कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को तत्काल प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया है.
चलिए बताते हैं आखिर कोर्ट में क्या कुछ हुआ. फिल्म के प्रोड्यूसर में से एक ने बंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को कंगना रनौत निर्देशित फिल्म ‘इमरजेंसी’ के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.
क्या कहा है बंबई हाई कोर्ट ने :
बंबई हाई कोर्ट में 4 सितंबर 2024 को ‘इमरजेंसी’ फिल्म के सर्टिफिकेशन को लेकर सुनवाई हुई. न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने 13 सितंबर तक का सेंसर बोर्ड को समय दिया है.
वह फिल्म को लेकर फैसला ले. अब अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी. मतलब ये कि कंगना रनौत की फिल्म 6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन कानूनी पचड़ों की वजह से सिनेमाघरों में दस्तक नहीं दे पाएगी.
क्या कहा मेकर्स ने कोर्ट में :
कोर्ट में ‘इमरजेंसी’ फिल्म की ओर से सीनियर एडवोकेट वेंकटेश धोंड मौजूद थे. उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड के पास कोई हक नहीं है कि वह फिल्म के सर्टिफिकेट को रोके.
वह पहले सर्टिफिकेट देने को तैयार हो गए थे लेकिन जब प्रोडक्शन हाउस लेने पहुंचा तो ना-नुकुर करने लगे.
क्या दलील है सेंसर बोर्ड की :
वहीं, सेंसर बोर्ड की ओर से केस लड़ रहे एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ ने दलीलें रखी कि एमपी उच्च न्यायालय के समक्ष की गई दलीलें भी गलत प्रतीत हैं. जैसे ही ये चीजें साफ हो जाती है तो वह फिल्म के प्रमाणपत्र पर साइन करके उसे जारी कर देंगे.
आरोप क्या लगे हैं :
‘इमरजेंसी’ को लेकर एक याचिका मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में भी दायर की है. फिल्म को लेकर शिरोमणि अकाली दल सहित सिख संगठनों का आरोप है.
इसमें सिख समुदाय को तथा ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया जाता है. वहीं मेकर्स का कहना है कि सीबीएफसी ने ‘‘गैर कानूनी और मनमाने ढंग से’’ प्रमाणन रोका है.
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