अयोध्या :
इस बार राम मंदिर को होली का कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 को हुए प्राण- प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से भी बड़ा होने जा रहा है. मंदिर प्रशासन ने इसके लिए पूरी जरूरी तैयारियां कर ली हैं.देशभर में होली के त्योहार की तैयारियां शुरू हो गई हैं. हर कोई होली के रंग में रंगने की तैयारी कर रहा है. इस बार की होली बहुत खास होने वाली है. दरअसल अयोध्या रामनगरी में इस बार राममंदिर की होली सभी के लिए आकर्षण का केंद्र होगी.
विस्तार से :
56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाकर भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाएगा. इसके बाद अबीर-गुलाल अर्पित कर होली का उत्सव मनाएंगे। इस बार राममंदिर के गर्भगृह में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे, होली के गीतों व पदों का गायन होगाइस साल 495 साल बाद रामलला की होली भव्य महल में होने जा रही है. इसलिए रामलला के दरबार में धूमधाम से होली मनाने की तैयारी है. ट्रस्ट ने इसकी योजना बनानी भी शुरू कर दी है. होली का स्वरूप क्या होना चाहिए, इस पर पुजारियों से चर्चा चल रही है. श्रीरामजन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार राम भक्तों को रामलला के साथ होली खेलने का अवसर मिलेगा. उन्होंने राममंदिर में होली को लेकर हो रही तैयारियों के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि रामलला को नए वस्त्र धारणकराकर विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाएगा. .
मथुरा- वृंदावन की होली :
इस साल 17 मार्च रविवार को मनाई जाने वाली है. राधा रानी के गांव बरसाने में राधा रानी मंदिर में लठमार होली भी खेली जाती है. लठमार होली बहुत ही अनोखी होती है,सनातन धर्म को मानने वाला हर इंसान जीवन में 1 बार मथुरा वृंदावन की होली खेलना चाहता है. मथुरा- वृदावन में होली बहुत ही खास अंदाज में मनाई जाती है. वहां कई प्रकार की होली खेली जाती है. यहां होली सिर्फ रंगो की नहीं बल्कि लड्डू, लठमार, फूलों वाली होली, छड़ीमार होली और हुरंगा होली जैसे अलग-अलग तरीकों से इस त्योहार को सेलीब्रेट किया जाता है. हर साल लड्डू होली बरसाने में मनाई जाती है. जिसमें महिलायें लाठी से पुरषों पर लट्ठ बरसाती है और पुरुष जिन्हें हुरियारे भी कहा जाता है वे ढाल से अपनी रक्षा करते हैं. इस साल बरसाने में 18 मार्च सोमवार को लठमार होली खेली जाएगी.
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होली :
इस साल 21 मार्च को मथुरा, बरसाना और वृंदावन में फूलों से होली खेली जाएगी. गोकुल में मनाई जाने वाली छड़ीमार होली का भी विशेष महत्व है. महिलाएं हाथ में लठ्ठ के बजाए छड़ी बरसाती नजर आती हैं. इसी परंपरा को हुंरगा होली के नाम से जाना जाता है. ऐसे में आप यदि इनमें से जिस भी होली का आनंद लेना चाहते हैं उस तिथि को उस जगह पर पहुंच जाइए जिसका मुख्य कारण ये है कि जब भगवान श्री कृष्ण बचपन में गोपियों को परेशान करते थे तो गोपियां उन्हें छड़ी से मारती थीं. अब ये एक परंपरा बन चुकी है. इस साल ये गोकुल में 21 मार्च को मनाई जाएगी.हुरंगा होली 26 मार्च को बलदेव के दाऊजी मंदिर में खेली जाएगी. ये होली बहुत ही खास होती है. इस दिन भाभियां अपने देवरों के साथ होली खेलती हैं और गीले सुते कपड़ों से उन्हें मारती हैं..
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