Sesame Cultivation: खरीफ फसलों में धान, मक्का, बाजरा, ज्वार और मूंग महत्वपूर्ण फसलें है, लेकिन, तिल की खेती के लिये भी किसानों का रुझान बढ़ रहा है. तिल की खेती भी महत्वपू्र्ण खरीफ फसलों में से एक है, जिसके लिये उपजाऊ जमीन की जरूरत नहीं होती, रेतीली-दोमट मिट्टी में इसकी बुवाई कर सकते हैं. और अच्छी पैदावार के जरिये किसानों को बेहतर आमदनी भी हो जाती है. आइये जानते है तिल की खेती के बारे में…
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तिल की खेती
आमतौर पर जुलाई के महिने में तिल की खेती की जाती है. इसकी फसल के लिये अच्छी किस्म के बीजों का इस्तेमाल करें और बुवाई से पहले बीजोपचार जरूर कर लेना चाहिये. खेत में तिल की बुवाई कतारों में करें और कतारों से कतारों और पौध से पौध के बीच 30*10 का फासला रखें. इससे फसल में निराई-गुड़ाई के लिये आसानी रहेगी. तिल की बुवाई करने से पहले खेत में खरपतवार उखाड़कर बाहर निकाल लें. इसके बाद खेत में 2-3 बार जुताई का काम कर लें. जुताई के बाद खेत में पाटा चला दें. आखिर जुताई के समय मिट्टी में 80-100 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद को मिला दें. इसी के साथ 30 किग्रा. नत्रजन, 15 किग्रा. फास्फोरस तथा 25 किग्रा. गंधक को प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते हैं. नत्रजन की आधी मात्रा को बुवाई और आधी मात्रा को निराई-गुड़ाई के समय डालें.
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Sesame Farming
इस मौसम में तिल की फसल को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती. जुलाई में बुवाई के चलते इसकी सिंचाई के लिये बारिश के पानी से ही पूर्ति हो जाती है. फिर भी कम बारिश की स्थिति में खेतों में आवश्यकतानुसार सिंचाई लगे देनी चाहिये. जब फसल आधी पककर तैयार हो जाये तो आखिरी सिंचाई का काम निपटा दें. तिल की खेती में कभी-कभी अनावश्यक पौधे उग जाते हैं, जो फसल की बढ़वार को प्रभावित करते हैं. इसलिये फसल बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली और 30-35 दिनों बाद दूसरी निराई-गुड़ाई का काम करें. इस दौरान बेकार खड़े पौधों को उखाड़कर फेंक दें. वहीं कीड़ों और रोगों से फसल को बचाने के लिये नीम से बने जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल करें. ध्यान रखें कि जब तिल के पौधों की पत्तियां पीली होकर गिरने लगें, तब ही कटाई का काम शुरू करें. तिल की फसल कटाई जड़ों से ऊपर-ऊपर करनी चाहिये.
भारत में तिल की खेती
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में तिल की खेती मुख्य फसल के रूप में की जाती है. इसके आलावा भारत में तिल की खेती महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व तेलांगाना में सहफसल के रूप में की जाती है।
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